


भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है, जो फिलिस्तीन मुद्दे के शांतिपूर्ण हल और दो-राज्य समाधान के कार्यान्वयन पर 'न्यूयॉर्क घोषणापत्र' का समर्थन करता है। प्रस्ताव को फ्रांस ने पेश किया, जिसके समर्थन में 142 देशों ने मतदान किया था जबकि 10 ने विरोध में वोट डाला। 12 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत उन 142 देशों में शामिल था, जिन्होंने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था।
सभी खाड़ी देशों ने इसका समर्थन किया, जबकि इजरायल, अमेरिका, अर्जेंटीना, हंगरी, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने इसके विरोध में मतदान किया। यह घोषणापत्र जुलाई में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित एक उच्च स्तरीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बांटा गया था। इस सम्मेलन की सह-अध्यक्षता फ्रांस और सऊदी अरब ने की थी। इसका उद्देश्य दशकों पुराने संघर्ष को सुलझाने के लिए रुकी हुई वार्ता को फिर से शुरू करना था।
न्यूयॉर्क घोषणापत्र क्या है?
सात पेज के घोषणापत्र में, नेताओं ने 'गाजा में युद्ध को समाप्त करने, द्वि-राष्ट्र समाधान के प्रभावी कार्यान्वयन के आधार पर इजराइल-फलस्तीनी संघर्ष का न्यायसंगत, शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान हासिल करने और फलस्तीनियों, इजराइलियों और क्षेत्र के सभी लोगों के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने के लिए सामूहिक कार्रवाई करने पर सहमति व्यक्त की।’’
प्रस्ताव पर तिलमिलाया इजरायल
यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है, जब इजरायल ने वेस्ट बैंक पर कब्जे की योजना का खुलासा किया है। इजरायल प्रस्ताव से इतना तिलमिलाया है कि उसने इसे खारिज करते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा को राजनीतिक सर्कस बता दिया। इजरायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, एक बार फिर फिर यह साबित हो गया है कि महासभा वास्तविकता से दूर एक राजनीतिक सर्कस है।